गरासिया जाति के लोक नृत्य (GRASIYA JATI KE LOK NRITYA) की इस महत्वपूर्ण पोस्ट में गरासिया जाति के प्रमुख नृत्यों का विस्तार से वर्णन किया गया है, गरासिया जाति के मोरिया नृत्य, मांदल नृत्य, वालर नृत्य, लूर नृत्य, कूद नृत्य, गौर नृत्य, जवारा नृत्य, गर्वा नृत्य आदि का विस्तार से वर्णन किया गया है| यह लेख प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए अति महत्वपूर्ण है| जो अभ्यर्थी प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी कर रहे है उन्हें एक बार अवश्य इस लेख का अध्ययन कर लेना चाहिए | यह पोस्ट REET, CTET, PTET, RAS, VDO, PATWAR, RPSC 1st GRADE, 2nd GRADE आदि भर्ती परीक्षाओ की तैयारी में सहायक सिद्ध होगी|
Contents
GRASIYA JATI KE LOK NRITYA
मोरिया नृत्य
- विवाह के अवसर पर गणपति स्थापना के पश्चात रात्रि को किया जाने वाला नृत्य है।
- मोरिया नृत्य पुरूषों द्वारा किया जाता है।
मांदल नृत्य
- यह गरासिया महिलाओं द्वारा किया जाने वाला वृत्ताकार नृत्य है।
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वालर नृत्य
- वालर नृत्य स्त्री-पुरूषों द्वारा किया जाने वाला प्रसिद्ध नृत्य है।
- यह नृत्य बिना वाद्य के धीमी गति से किया जाता है।
- वालर नृत्य में दो अर्द्धवृत बनते हैं, बाहर के अर्द्धवृत में पुरूष तथ अन्दर के अर्द्धवृत में महिलाएं होती है।
- वालर नृत्य का प्रारम्भ एक पुरूष हाथ में छाता या तलवार लेकर करता है।
- इस नृत्य में पुरूष-स्त्रिया गीत के साथ नृत्य प्रारम्भ करते है।
- पुरूषों के गीत की पंक्ति की समाप्ति से एक पंक्ति पहले स्त्रियां गीत उठा लेती है।
- वालर नृत्य विशेष कर सिरोही क्षेत्र में किया जाता है।
- इस नृत्य में नर्तक व नर्तकी अपने आगे वाले नर्तक व नर्तकी के कंधे पर अपना दायाँ हाथ रखते है।
- वालर नृत्य को गरासिया घूमर भी कहते है।
- पड़ियों कोढ़ी काल जैसे गीतों के साथ यह नृत्य सम्पन्न होता है।
लूर नृत्य
- लूर नृत्य गरासिया महिलाओं द्वारा मुख्यतः मेले व शादी के अवसर पर किया जाता है।
- गरासिया स्त्रियों में इस नृत्य को मुख्यतः लूर गोत्र की स्त्रियों द्वारा किया जाता है।
- लूर नृत्य में एक दल (वर पक्ष) दूसरा दल (वधू पक्ष) से रिश्ते की माँग करता हुआ नृत्य करता है।
कूद नृत्य
- गरासिया स्त्रियों-पुरूषों द्वारा सम्मिलित रूप में किया जाता है।
- व कूद नृत्य बिना वाद्य के किया जाता है।
- कूद नृत्य करते समय तालियों का प्रयोग किया जाता है।
गौर नृत्य
- गौर नृत्य गणगौर के अवसर पर गरासिया स्त्री-पुरूषों द्वारा किया जाने वाला आनुष्ठानिक नृत्य है।
- गोर नृत्य गणगौर के अवसर पर शिव-पार्वती (गण-गौर यानि शिव पार्वती) को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।
जवारा नृत्य
- होली दहन से पूर्व स्त्री पुरूषों द्वारा किया जाने वाला सामूहिक नृत्य है।
- यह नृत्य गोल घेरा बनाकर ढ़ोल के गहरे घोष के साथ किया जाता है।
- इस नृत्य में स्त्रियां हाथ में जवारों की बालियाँ लिए नृत्य करती है।
गर्वा नृत्य
- गर्वा नृत्य गरासिया जाति की स्त्रियों के द्वारा किया जाता है।
- यह नृत्य मुख्य रूप से उदयपुर-सिरोही में किया जाता है।
- गर्वा नृत्य गरासियों का अत्यन्त मोहक नृत्य है।
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