मेवाड़ के लोक नृत्य | mevar ke lok nritya

मेवाड़ के लोक नृत्य (mevar ke lok nritya) इस लेख में मेवाड़ क्षेत्र के प्रमुख लोक नृत्यों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गय है, यह लेख भर्ती परीक्षाओ की तैयारी कर रहे विद्यार्थीयो के लिए अति महत्वपूर्ण है, इस लेख में भवाई नृत्य, रण नृत्य आदि का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है यह पोस्ट REET, CTET, UPTET, PTET, RAS, PATWAR, VDO, RPSC 1st GRADE, 2nd GRADE, UPSC, SI, POLISE CONSTABLE आदि भर्ती परीक्षाओ के लिए अति महत्वपूर्ण है| भर्ती परीक्षाओ की तैयारी कर रहे विद्यार्थी एक बार इस लेख को जरुर पढ़ लेना चाहिए, यह पोस्ट उनकी तैयारी को और अधिक मजबूती प्रदान होगी|

Contents

mevar ke lok nritya

भवाई नृत्य

  • भवाई नृत्य उदयपुर संभाग में बसने वाली भवाई जाति का एक प्रमुख नृत्य है।
  • यह पेशेवर लोकनृत्यों में बहुत लोकप्रिय नृत्य है।
  • भवाई नृत्य को करने वाली भवाई जाति की स्थापना के बारे में ऐसी मान्यता है कि 400 वर्ष पूर्व (नागोजी जाट) ने इसकी स्थापना की।
  • यह नृत्य तेज लय में विविध रंगों की पगड़ियों को हवा में फैला कर अपनी उंगलियों से नृत्य करते हुए कमल का फूल बना लेना, सिरपर सात-आठ मटके रखकर नृत्य करना, जमीन पर रखे रूमाल को मुंह से उठाना, गिलास पर नाचना, थाली के किनारों पर तेज नृत्य करना, तेज तलवार की धार पर नृत्य करना, कांच के टुकड़ों पर नृत्य करना आदि इनकी प्रमुख विशेषता है।
  • भवाई नृत्य स्त्री-पुरूष दोनों मिलकर करते हैं।
  • इस नृत्य में कई प्रकार के प्रसंग होते है:-बोरा बोरी, सूरदास, लोड़ी बड़ी, डोकरी, शंकरिया, बीकाजी, बाघाजी व ढोलामारू। भवाई नृत्य के प्रमुख कलाकार रूपसिह शेखावत, अस्मिता काला, दयाराम, तारा शर्मा आदि है।
  • भवाई नृत्य में शास्त्रीय कला की झलक मिलती है।
  • भवाई नृत्य राजस्थान अलावा गुजरात में तुरी जाति के लोगों द्वारा तथा मध्यप्रदेश में डाकलिये व पाट भवाई जाति के लोगों द्वारा भी किया जाता है।

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रण नृत्य

  • रण नृत्य वीर रस का पुरूष प्रधान नृत्य है रण नृत्य में दो पुरूष हाथों में तलवार आदि शस्त्र लेकर युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते हुए इस नृत्य को करते है।
  • यह नृत्य मेवाड़ क्षेत्र में विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
  • रण नृत्य गोडवाड के सरंगो द्वारा भी किया जाता है।

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