राजस्थान में मध्यकाल एंव आधुनिक काल में नारियों की भूमिका

राजस्थान में मध्यकाल एंव आधुनिक काल में नारियों की भूमिका ( rajsthan ki important mahilae ) इस लेख में महत्वपूर्ण नारियो का विस्तार से वर्णन किया गया है (rajsthan ki important mahilae)

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rajsthan ki important mahilae

ROLE OF WOMEN DURING MEDIEVAL & MODERN PERIOD IN RAJASTHAN

श्रीमती प्रतिभा पाटिल / shrimat partibha patil

राजस्थान की प्रथम महिला राज्यपालदेश की प्रथम महिला राष्ट्रपति है, जिनका जन्म जलगाँव (महाराष्ट्र) में में हुआ। इनका विवाह सीकर जिले के छोटी लोसल गाँव के देवीसिंह शेखावत के साथ हुआ।

श्रीमती कुशल सिंह / shrimati kushal singh

राज्य की प्रथम महिला मुख्य सचिव श्रीमती कुशल सिंह

आंची देवी / shrimati aanchi devi

आंची देवी – राजस्थान की पहली महिला कुश्ती प्रशिक्षक

कालीबाई भील / kalibai bhil

डूंगरपुर राज्य में सेवा संघ द्वारा संचालित पाठशालाओं को बंद करने के लिए चलाये गये अभियान के दौरान 19 जून, 1947 को रास्तापाल नामक स्थान पर कालीबाई के गुरु मानाभाई की हत्या कर दी गई तथा सेंगाभाई को रस्सी से बाँधकर ले जा रहे थे, तब कालीबाई खेतों से आ रही थी, तो उसने उस रस्सी को काट दिया, तब कालीबाई भील की पुलिस ने रास्तापाल नामक स्थान पर हत्या कर दी।

गुलाबो/ गुलाबी सपेरा / gulabo spera

राजस्थान की प्रसिद्ध कालबेलिया नृत्यांगना, जिनका जन्म 1969 में कोटडा (अजमेर) गाँव में हुआ। इन्हें 2016 कला क्षेत्र के पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

श्रीमती पार्वती जोशी / parvti joshi

देश की प्रथम फड़ चितेरी महिला, जो राजस्थान के प्रसिद्ध फड़ चितेरे कन्हैयालाल जोशी की धर्मपत्नी है।

मंजू राजपाल / manju rajpal

भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी एवं आदिवासियों की बाई जी के उपनाम से प्रसिद्ध मंजू राजपाल द्वारा अनाथ व बेसहारा बच्चों के लिए अबोली संस्था की स्थापना की गई।

भक्ति शर्मा / bhakti sharma

उदयपुर की तैराक, जिसने इंगलिश चैनल को तैरकर पार करने की उपलब्धि प्राप्त करने वाली ये राजस्थान की पहली महिला तैराक है।

पार्वती गहलोत / parvti gahlot

जोधपुर निवासी पार्वती गहलोत सन् 1928 में राजस्थान की प्रथम महिला डॉक्टर बनी।

सुजा राजपुरोहित / suja rajpurohit

सुजा राजपुरोहित (1837-1902)-मारवाड़ की वीरांगना, जिन्होंने 1857 के स्वाधीनता संग्राम में लाडनूं (नागौर) में
अंग्रेजों की सेना को परास्त कर दिया था।

श्रीमती यशोदा देवी / yashoda devi

राज्य विधानसभा की पहली महिला विधायक, जो 1953 में बाँसवाड़ा से उपचुनाव में विधायक चुनी गई। वह प्रजा समाजवादी पार्टी के सदस्य थी।

श्रीमती बन्नो बेगम / banno begam

जयपुर की प्रसिद्ध मांड गायिका श्रीमती बन्नो बेगम

मुशतरबाई / mushatar bai

नौटंकी विद्या में राजस्थान की पहली कलाकार, जिनका जन्म 1918 में हिण्डौन सिटी (करौली) में हुआ था।

विमला कौशिक / vimala koushik

‘पानी वाली बहिनजी’ के नाम से प्रसिद्ध, जिन्होंने बीकानेर जिले के गाँवों में पानी की बूंद-बूंद बचाकर लोगों में जल संरक्षण की अलग जगाने का असाधारण कार्य किया।

अंजना देवी चौधरी / anjana devi choudhri

प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्री रामनारायण चौधरी की पत्नी, जिन्होंने 1939 में सीकर में सत्याग्रह का नेतृत्व किया।

महारानी गायत्री देवी / mharani gaytri devi

कूच बिहार रियासत की राजकुमारी आयशा जयपुर महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय से विवाह कर महारानी गायत्री देवी बनकर जयपुर आई। इन्होंने 12 अगस्त, 1943 को जयपुर में महारानी गायत्री देवी स्कूल ‘ की स्थापना की। गायत्री देवी राजस्थान से चुनी गई ‘ प्रथम महिला लोकसभा सदस्य’ थी।

श्रीमती शांता त्रिवेदी / shanta trivedi

उदयपुर में प्रजामंडल आंदोलन में सक्रिय भागीदारी। सामंतवाद के विरुद्ध छिड़े संघर्ष में इन्होंने 4 अप्रेल, 1948 को महिलाओं का नेतृत्व किया।

श्रीमती भगवती देवी विश्नोई / bhagavati devi vishnoi

इन्होंने 1933-34 में अजमेर में नारेली आश्रम में रहकर हरिजन जातियों में समाज सुधार और शिक्षा प्रसार का कार्य किया था।

श्रीमती सुमित्रा खेतान / sumitra khetan

1939 के सत्याग्रह में केसरिया साड़ी पहने व कंधे पर हरा थैला तथा हाथों में तिरंगा लिये 2 2 वर्ष के बच्चे के साथ गिरफ्तार हुई और जेल गई।

विजया बहन भावसार / vijaya bahan bhavsar

एक विधवा ब्राह्मण नवयुवती, जिससे बाँसवाड़ा के प्रसिद्ध स्वतंत्रा सेनानी श्री धूलजी भाई भावसार ने 1936 में विवाह कर अंतर्जातीय व विधवा विवाह का आदर्श प्रस्तुत किया। इन्होंने प्रजामंडल के सहयोगी संगठन ‘ महिला मंडल‘ को गठित किया। बाँसवाड़ा में हुए अनाज आंदोलन में विजया बहन के नेतृत्व में महिलाओं ने धारा 144 का उल्लंघन कर जुलूस निकाला था।

श्रीमती इंदुमती गोयनका / indumati goynaka

राजस्थानी मूल की कलकत्ता प्रवासी महिला, जो 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में बंगाल से गिरफ्तार होने वाली प्रथम राजस्थानी महिला थी।

नगेन्द्र बाला / nagendra bala

कोटा की स्वतंत्रता सेनानी व समाज सेविका, जो 1941 से 1947 तक हाड़ौती क्षेत्र के किसान आंदोलन में सक्रिय रही। नगेन्द्र बाला राजस्थान की प्रथम जिला प्रमुख बनी।

सुशीला त्रिपाठी / sushila tripathi

अलवर में लोकजागरण के अग्रदूत श्री लक्ष्मण स्वरूप त्रिपाठी की पत्नी, जिन्होंने 1933 में दिल्ली के चाँदनी चौक के सत्याग्रह किया। इन्हें 6 माह के कारवास की सजा हुई।

श्रीमती किशोरी देवी / kishori devi

सरदार हरलाल सिंह की धर्मली, जिनकी अध्यक्षता में 25 अप्रेल, 1934 को कटराथल (सीकर) में एक विशाल किसान सम्मेलन सम्पन्न हुआ, जिसमें लगभग 10,000 जाट महिलाओं ने भाग लिया।

रुकमा / rukama

बाड़मेर जिले के रामसर गाँव निवासी रुकमा मांगणियार जाति की पहली ऐसी महिला गायिका है, जो सार्वजनिक रूप से गाती है। rajsthan ki important mahilae

मधुभट्ट तैलंग / madhubhatt taelang

जयपुर निवासी, राजस्थान की प्रथम व एकमात्र ध्रुपद गायिका है।

खेतूबाई / khetubai

बीकानेर के स्वतंत्रता सेनानी वैद्य मघाराम की बहन, जिन्होंने दूधवाखारा किसान आंदोलन में महिलाओं का नेतृत्व
किया और जीवनपर्यन्त खादी वस्त्र धारण करने का व्रत लिया।

श्रीमती जानकी देवी बजाज / janaki devi bajaj

सेठ जमनालाल बजाज की धर्मपत्नी, जिनका जन्म 7 जनवरी, 1893 को जावरा (म.प्र.) में हुआ था। सक्रिय भागीदारी के कारण भारत सरकार ने 1956 में जानकी देवी को पद्य विभूषण ‘ से अलंकृत किया। जानकी देवी पद्य विभूषण प्राप्त करने वाली राजस्थान की प्रथम महिला थी।

अमृदा देवी विश्नोई / amrita devi vishnoi

खेजड़ली (जोधपुर) गाँव की महिला, जिसके नेतृत्व में 1730 ई. में वृक्षों की रक्षा के लिए 363 लोगों ने प्राणोत्सर्ग किये इसे विश्व का प्रथम वृक्ष बचाओ चिपको आंदोलन’ माना जाता है। अमृता देवी की स्मृति में 1994 से राज्य में पर्यावरण क्षेत्र के सबसे बड़ पुरस्कार अमृता देवी पुरस्कार ‘ प्रारम्भ किये गये।

मिस लूटर / miss lootar

इनका जन्म 1903 में क्योमो (म्यांमार) में हुआ। इनका पूरा नाम विलियम ग्राडेफ्रोडा डामीथ्रोन लूटर था। 1943 में इन्हें जयपुर के महारानी गायत्री देवी स्कूल की प्राचार्या नियुक्त किया गया। शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने के कारण इन्हें 1970 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

मणि बहन पंड्या / mani bahan pandya

वागड़ के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी भोगीलाल पंड्या की धर्मपत्नी, जिन्हें आदर से लोग वागड़ बा ‘ के नाम से पुकारते थे।

श्रीमती शकुन्तलता त्रिवेदी / shakuntala trivedi

इन्हों ने बाँसवाड़ा में स्वयंसेवक दल का गठन किया व प्रजामंडल आंदोलन में भाग लिया।

श्रीमती सत्यभामा / satybhama

बूंदी के स्वतंत्रता सेनानी नित्यानंद नागर की पुत्रवधु, जिन्हें गाँधीजी की मानस पुत्री होने का सौभाग्य मिला। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इन्हें अपने दो बच्चों के साथ जेल भी जाना पड़ा। 1932 में अजमेर ब्यावर आंदोलन का नेतृत्व सत्यभामा ने ही किया था।

रानी लक्ष्मी कुमारी चूंडावत / rani lakshmi kumari chundavat

प्रसिद्ध राजस्थानी साहित्यकार, जिन्हें 1984 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। इनका जन्म मेवाड़ के देवगढ़ ठिकाने में हुआ था। इन्होंने मूमल, सांस्कृतिक राजस्थान, पाबूजी री बात, बगड़ावत कै रे चकवा बात, करणी चरित्र, माझल रात आदि कृतियों की रचना की। इन्होंने राज्यसभा में महिलाओं के लिए जीवन बीमा निगम और सार्वजनिक निर्माण विभाग में महिला मजदूरों को पुरुषों के समकक्ष दर्जा दिलवाने के लिए संघर्ष किया। संयुक्त राष्ट्र संघ के निशस्त्रीकरण सम्मेलन -1978 में हुए न्यूयार्क में ये भारतीय प्रतिनिधि बनी। 24 मई, 2014 को जयपुर में इनका निधन हो गया।

श्रीमती शारदा भार्गव / sharada bhargav

राजस्थान की प्रथम महिला सांसद, जो 1952 में राज्य से प्रथम महिला राज्यसभा सदस्य बनी। वे राज्य से सर्वाधिक बार (3 बार -1952, 1956 व 1963) राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुई महिला है।

श्रीमती रतना शास्त्री / ratana shastri

प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी हीरालाल शास्त्री की पत्नी, जिनका जन्म 1912 में खाचरोद (मध्यप्रदेश) में हुआ। इन्होंने 1939 में जयपुर राज्य प्रजामंडल के सत्याग्रह आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। इन्हें 1955 में पद्मश्री व 1975 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। पद्मभूषण व पद्मश्री से सम्मानित होने वाली ये राजस्थान की प्रथम व एकमात्र महिला है।

श्रीमती अरुणा राय / aruna ray

प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता, सूचना के अधिकार को प्राप्त करने के लिए आंदोलन की शुरूआत मजदूर किसान शक्ति संघ ‘ की प्रणेता अरुणा राय के द्वारा 6 अप्रैल, 1995 को ब्यावर के चाँद गेट से गई। यह अधिकार 12 अक्टूबर, 2005 से लागू हुआ। अरुणा राय रमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने वाली राजस्थान की प्रथम महिला है।तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल में सूचना का अधिकार कानून -2000 को राजस्थान में लागू किया गया।

श्रीमती गवरी देवी / gavari devi

पाली की प्रसिद्ध मांड गायिका, जो देवी भैरवी युक्त मांड गाती है, इन्हें माण्ड मल्लिका भी कहा जाता है।

माँगीबाई / mangi bai

राजस्थान की प्रसिद्ध तेरहताली नृत्यांगना है। rajsthan ki important mahilae

दुर्गावती देवी शर्मा / durgavati devi sharma

इनके नेतृत्व में शेखावाटी की महिला सत्याग्रहियों का प्रथम जत्था 18 मार्च, 1939 को सत्याग्रह के लिए जयपुर पहुँचा। इस जत्थे की प्रत्येक महिला को 4 माह के कारावास की सजा हुई।

नारायणी देवी वर्मा / narayani devi varma

मेवाड़ के स्वतंत्रता सेनानी माणिक्यलाल वर्मा की धर्मपत्नी, जिनका जन्म सिंगोली (म.प्र.) गाँव में हुआ था। 1939 में वर्माजी के जेल जाने पर मेवाड़ प्रजामंडल का संचालन नारायणी देवी ने किया। 14 नवम्बर, 1944 को इन्होंने भीलवाड़ा में महिला आश्रम ‘ की स्थापना की। भारत छोड़ों आंदोलन में इन्हें जेल भी जाना पड़ा। इन्होंने 1952-53 में वर्माजी के साथ मिलकर आदिवासी कन्या छात्रावास’ की स्थापना की। 1970 से 1976 तक नारायणी देवी राज्यसभा की सदस्य भी रही।

अल्लाजिलाई बाई / allajilai bai

राजस्थान की प्रसिद्ध मांड गायिका, इनका जन्म 1902 में बीकानेर में हुआ। इन्हें ‘ राजस्थान की मरु कोकिला‘ कहा जाता है। 29 दिसम्बर, 2003 को अल्ला जिलाई बाई पर 5 रु. का डाक टिकट जारी किया गया तथा 1982 में पद्म श्री और 31 मार्च, 2012 को राजस्थान रत्न ‘ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

रीमा दत्ता / reema datta

राजस्थान की जल परी कहलाने वाली रीमा दत्ता का जन्म अजमेर में हुआ था।। इन्हें देश की सर्वश्रेष्ठ तैराक महिला घोषित किया गया।

हमीदा बानो / hamida bano

इन्हें राजस्थान की उड़नपरी कहा जाता

डॉ. विभा गौतम / dr. vibha goutam

ISRO ने चन्द्रायन दल में जयपुर की डॉ. विभा गौतम को वैज्ञानिक के रूप में शामिल किया।

अस्मिता काला (Little Wondor) / asmita kala

जयपुर की अस्मिता काला ने 111 घड़े रखकर भवाई नृत्य किया और लिम्बाबुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाया। rajsthan ki important mahilae

प्रतिभा पाण्डे (चित्रकार) / partibha pande

धौलपुर की महिला प्रतिभा पाण्डे ने कैनवास पर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बनाई गयी पेन्टिंग ‘ फॉल ऑफ बर्लिन’ काफी चर्चित रही।

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