हिंदी के प्रमुख निबन्धकार एंव उनकी प्रमुख कृतिया | hindi ke nibndhkar or nibndh

Hindi Ke Nibndhkar Or Nibndh हिंदी के प्रमुख निबन्धकार एंव उनकी प्रमुख कृतिया की इस महत्वपूर्ण पोस्ट में हिंदी साहित्य के प्रमुख निबंधकारो और उनकी काव्य कृतियों का वर्णन किया गया है|

Contents

हिंदी- का प्रथम निबंधकार कौन है

हिंदी के प्रथम निबंध के रूप में राजा भोज का सपना (1839 ई.) का उल्लेख मिलता है।
सदासुखलाल के ‘सुरासुरनिर्णय’ के आधार पर इन्हें हिंदी का प्रथम निबंधकार माना जाता है।

निबंध लेखन के प्रमुख सोपान कितने होते हैं

निबंध के तीन प्रमुख अंग होते हैं :
1. भूमिका
2. विषय-वस्तु
3. उपसंहार

निबंध का अर्थ

निबन्ध गद्य लेखन की एक विधा है। लेकिन इस शब्द का प्रयोग किसी विषय की तार्किक और बौद्धिक विवेचना करने वाले लेखों के लिए भी किया जाता है। निबंध के पर्याय रूप में सन्दर्भ, रचना और प्रस्ताव का भी उल्लेख किया जाता है। लेकिन साहित्यिक आलोचना में सर्वाधिक प्रचलित शब्द निबंध ही है।

हिंदी साहित्य के दो विचारात्मक निबंध कारों के नाम लिखिए

 हिन्दीसाहित्य के दो विचारात्मक निबन्धकार हैं।
1. बाबू श्यामसुन्दर दास
2. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

ललित निबंध कारों के नाम

  • हजारी प्रसाद द्विवेदी
  • विद्यानिवास मिश्र
  • विवेकी राय
  • कुबेर नाथ राय

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निबन्धकार प्रमुख निबन्ध
भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है, बादशाह दर्पण, लेवी प्राण लेवी, स्वर्ग में विचार सभा, पांचवें पैगम्बर, अंग्रेज स्तोत्र, कश्मीर कुसुम, कालचक्र
बालकृष्ण भट्ट लगभग एक हजार निबन्ध लिखे जिनमें प्रमुख हैं-कौलीन्य, जात-पात, कौम, भिक्षावृत्ति, सुगृहिणी, हिन्दुस्तान के रईस, हाकिम और उनकी हिकमत, राजभक्ति और देशभक्ति, व्यवस्था या कानून, प्रतिनिधि शासन, कृषकों की दुरवस्था, अंग्रेजी शिक्षा और प्रकाश, महिला स्वातन्त्र्य, हुक्का स्तवन, ढोल के भीतर पोल, खल वन्दना, ग्राम्य जीवन
आचार्य महावीप्रसाद द्विवेदी महाकवि माघ का प्रभात वर्णन, कवि कर्तव्य, सांची के पुराने स्तूप, अतीत स्मृति, कालिदास की निरंकुशता
सरदार पूर्णसिंह 1. सच्ची वीरता, 2. आचरण की सभ्यता, 3. पवित्रता, 4. मजदूरी और प्रेम, 5. कन्यादान, 6. अमेरिका का मस्त योगी वाल्ट ह्विटमैन
बाबू श्यामसुन्दरदास भारतीय साहित्य की विशेषताएं, समाज और साहित्य, कर्तव्य और सभ्यता, हमारे साहित्योदय की प्राचीन कथा
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल श्रद्धा भक्ति, लज्जा और ग्लानि, करुणा, उत्साह, कविता क्या है, साधारणीकरण और व्यक्ति वैचित्र्यवाद, काव्य में रहस्यवाद, ईर्ष्या, लोभ और प्रीति, घृणा, काव्य में लोकमंगल की साधनावस्था, रसात्मक बोध के विविध रूप, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, तुलसी का भक्ति मार्ग, मानस की धर्मभूमि, काव्य में अभिव्यंजनावाद।
डॉ. सम्पूर्णानन्द शिक्षा का उद्देश्य, समाजवाद, आर्यों का आदि देश, भारत की देशी राज्य, अधूरी क्रान्ति।
आचार्य हजारीप्रसाद कुटज, शिरीष के फूल, भारतीय संस्कृति की देन, काव्यकला, द्विवेदी कविता का भविष्य, नई समस्याएं, आम फिर बौरा गए, अशोक के फूल, बसन्त आ गया, अवतारवाद, धर्म साधना का साहित्य, हिन्दी भक्ति साहित्य, हमारी संस्कृति और साहित्य का सम्बन्ध
जैनेन्द्र कुमार भाग्य और पुरुषार्थ, साहित्य का श्रेय और प्रेय, ये और वे
श्रीमती महादेवी वर्मा साहित्यकार की आस्था, काव्यकला, छायावाद, रहस्यवाद, यथार्थ और आदर्श, हमारी श्रृंखला की कड़िया, युद्ध और नारी, नारीत्व का अभिशाप, आधुनिक नारी, स्त्री के अर्थ स्वातन्त्र्य का प्रश्न, समाज और व्यक्ति, जीने की कला, संस्कृति का प्रश्न, हमारा देश और राष्ट्रभाषा, साहित्य और साहित्यकार, हमारे वैज्ञानिक युग की समस्या
डॉ. रामविलास शर्मा संस्कृति और साहित्य, प्रगति और परम्परा, प्रगतिशील साहित्य की समस्याएं, स्वाधीनता और राष्ट्रीय साहित्य
डॉ. नगेन्द्र हिन्दी उपन्यास, ब्रज भाषा का गद्य, आधुनिक हिन्दी काव्य के आलोचक, स्वतन्त्रता के पश्चात् हिन्दी आलोचना, राष्ट्रीय संकट और साहित्य
विद्यानिवास मिश्र आम्र मंजरी, हिन्दू धर्म और संस्कृति, आंगन का पक्षी, ये ये विपथगाएं, नरनारायण, शिरीष का आग्रह, मैंने सिल पहुंचाई, विश्वविद्यालय और न्यायालय, हिन्दी का विभाजन, विवाह धूम, नई पीढ़ी की बेचैनी भारतीय सन्दर्भ, रीति विज्ञान : परिधि और प्रयोजन, काव्य भाषा और काव्येतर भाषा, सादृश्य विधान, प्रलय की छाया, वेलूर की कलात्मकता मलय के अंचल में
कुबेरनाथ राय रस आखेटक, वेणु-कीचक, राघवः करुणों रसः, विकल चैत्ररथी, किरण सप्तपदी, अन्नपूर्णा, वाण भूमि, मोह-मुद्गर, हरी-हरी दूब और लाचार क्रोध, आधुनिकता-नई और पुरानी, रसोपनिषद्, शिशुवेद, यक्ष प्रश्न, जम्बुक, दृष्टि अभिषेक, कजरी वन में राजहंस, सिंह द्वार का कवि प्रेत, कवि तेरा मोर आ गया, वन पर्व।
हरिशंकर परसाई इण्टरव्यू मुफतलाल का होना, डिप्टी कलस्टर, सदाचार का ताबीज, विकलांग श्रद्धा का दौर, वैष्णव की फिसलन, निन्दा रस।
बाबू गुलाबराय ठलुआ क्लब, फिर निराशा क्यों, मेरी असफलताएं, मन की बातें, मेरे निबन्ध
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी पचपात्र
शान्तिप्रिय द्विवेदी वृन्त और विकास, आधान, सामयिकी, साकल्य, कवि और काव्य, साहित्यिकी संचारिणी, युग और साहित्य, धरातल, प्रतिष्ठान
शिवपूजन सहाय कुछ
पाण्डेय बेचन शर्मा ‘ उग्र’ बुढ़ापा, गाली निबन्ध
नन्ददुलारे वाजपेयी जयशंकर प्रसाद, आधुनिक साहित्य, नया साहित्य-नए प्रश्न
रामधारी सिंह ‘ दिनकर’ अर्द्धनारीश्वर, मिट्टी की ओर, रेती के फूल, हमारी सांस्कृतिक एकता, प्रसाद, पन्त और मैथिलीशरण, राष्ट्रभाषा और राष्ट्रीय साहित्य।
अज्ञेय त्रिशुक, आत्मनेपद, हिन्दी साहित्य आलवाल, भवन्ति लिखि कागद कोरे
रामवृक्ष बेनीपुरी गेहूं और गुलाब, वन्दे वाणी विनायकौ
देवेन्द्र सत्यार्थी धरती गाती है, एक युग-एक प्रतीक, रेखाएं बोल उठी
वासुदेवशरण अग्रवाल पृथ्वीपुत्र
बनारसी दास चतुर्वेदी साहित्य और जीवन, हमारे आराध्य
कन्हैयालाल मिश्र बाजे पायलिया के घुघरू, जिन्दगी मुस्कराई, महके चहके द्वार’ प्रभाकर’
धर्मवीर भारती ठेले पर हिमालय, पश्यन्ती, कहनी-अनकहनी
विवेकीरायफिर वैतलवा डाल पर
केदारनाथ अग्रवाल समय-समय पर
लक्ष्मीचन्द्र जैन कागज की किश्तियां
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