RPSC 1st Grade RAJASTHANI Syllabus in hindi PDF : RPSC द्वारा आयोजित School Lecturer राजस्थानी (II पेपर) का पाठ्यक्रम व परीक्षा पैटर्न हिंदी में इस पोस्ट में मिलेगा | यंहा RPSE Ist Grade RAJASTHANI Syllabus In Hindi PDF भी डाउनलोड कर सकते हो |
Contents
RPSC 1st Grade RAJASTHANI Syllabus in hindi PDF
खण्ड – I : उच्च माध्यमिक स्तर : RPSC 1st Grade RAJASTHANI Syllabus in hindi PDF
1. राजस्थानी भाषा
- उद्भव एवं विकास
- राजस्थानी की विभिन्न बोलियाँ, क्षेत्र एवं विशेषताएँ
- राजस्थानी एक स्वतंत्र भाषाः भाषा वैज्ञानिक तत्व
- प्रमुख लिपियांः मुड़िया एवं देवनागरी
2. राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं काव्य-दोष
- राजस्थानी वर्णमाला
- संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया संरचना
- राजस्थानी भाषा की विशिष्ट ध्वनियां, शब्दों के परिवर्तित रूप एवं अर्थ भेद।
- पर्यायवाची शब्दः तलवार, घोड़ा, ऊंट, पानी, वीर, सूर्य, हाथी, कमल, बादल, भूमि।
- अलंकार: वैण-सगाई और उसके भेद
- छंद: दूहा छंद और उसके भेद
- काव्यदोष: अंधदोष, छबकाल, पांगलो, हीन और निनंग
- शब्दशक्तियां: अभिद्या, लक्षणा, व्यंजना।
खंड – II : स्नातक स्तर
3. राजस्थानी साहित्य का कालगात अध्ययन
i. आदिकाल :- परिस्थितियां, साहित्यिक प्रवृत्तियां, प्रमुख रचनाकार: वजसेन सूरि, श्रीधर व्यास, बादरदाढी, शारंगधर, शिवदास गाडण, नरपति नाल्ह।
ii मध्यकाल:
(अ) पूर्वमध्यकाल :- परिस्थितियां, साहित्यिक प्रवृत्तियां, प्रमुख रचनाकार: ईसरदास, दूरसा आढ़ा, पृथ्वीराज राठौड़, हेमरतन सूरि, माधोदास दधवाड़िया, सायांजी झूला
(ब) उत्तरमध्यकाल :- परिस्थितियां, साहित्यिक प्रवृत्तियां प्रमुख रचनाकार: मीराबाई, दादूदयाल, सुंदरदास, जांभोजी, जसनाथजी, रामचरणदास, सहजोबाई, गवरीबाई, किसना आढ़ा, मुहणोत नैणसी, नरहरिदास बारहठ, कृपाराम खिड़िया और बांकीदास।
- iii. आधुनिक काल :- परिस्थितियां, साहित्यिक प्रवृत्तियां,
प्रमुख रचनाकार
पद्य :- सूर्यमल्ल मीसण, रामनाथ कविया, शंकरदान सामौर, केसरीसिंह बारहठ, महाराज चतुरसिंह, गणेशीलाल व्यास ‘ उस्ताद’, कन्हैयालाल सेठिया, चन्द्रसिंह ‘ बिरकाली, नारायणसिंह भाटी, सत्यप्रकाश जोशी, गिरधारी सिंह पड़िहार।
गद्य:- शिवचन्द्र भरतिया, मुरलीधर व्यास, सूर्यकरण पारीक, गिरधारीलाल शास्त्री, डॉ. नेमनारायण जोशी, डॉ. मनोहर शर्मा, डॉ. नृसिंह राजपुरोहित सांवर दइया, यादवेन्द्र शर्मा ‘ चन्द्र ‘, गोविन्दलाल माथुर, अन्नाराम सुदामा, लक्ष्मीकुमारी चूंडावत, विजयदान देथा, बैजनाथ पंवार, करणीदान बारहठ, जहूर खां मेहर, अर्जुनदेव चारण।
4. राजस्थानी पद्य एवं गद्यः रूप-परम्परा:
- पद्य :- रासो, वेलि, फागु, चौपाई, प्रवाड़ा संधि, बारहमासा, विवाहलो, धमाल, चैत्यपरिपाटी, नीसांणी, गीत एवं सतसई।
- गद्य :- वचनिका, दवावैत, ख्यात, वात, विगत, वंशावली, गुर्वावली, बालावबोध, टीका एवं टब्बा।
आधुनिक विधाएं :- कहानी, उपन्यास, नाटक, एकांकी, निबंध, संस्मरण।
खंड- iii : स्नातकोत्तर स्तर)
5. राजस्थानी लोक साहित्य एवं संस्कृति:
- लोक गीत, लोक कथा, लोक गाथा, लोक नाट्य, लोकोक्ति (कहावते एवं मुहावरे)
- लोकदेवी-देवता, लोक उत्सव, (मेले, पर्व एवं तीज त्यौहार)
- लोक कला- (मांडणे एवं सांझी)
8. राजस्थानी काव्य शास्त्र
- साहित्य का स्वरूप एवं विवेचन
- रस सिद्धांतः रसनिष्पत्ति, साधारणीकरण
- ध्वनिसिद्धांत एवं वक्रोक्ति सिद्धान्त
भाग- IV (शैक्षिक मनोविज्ञान, शिक्षाशास्त्र, शिक्षण अधिगम सामग्री, शिक्षण अधिगम में कंप्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग)
1. शिक्षण-अधिगम में मनोविज्ञान का महत्व:
- सिखाने वाला,
- शिक्षक,
- शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया,
- स्कूल प्रभावशीलता।
2. शिक्षार्थी का विकास
- संज्ञानात्मक, शारीरिक, सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक विकास पैटर्न और किशोर शिक्षार्थी के बीच विशेषताएँ।
3. शिक्षण-सीखना:
- सीखने की अवधारणा, व्यवहार, संज्ञानात्मक और रचनावादी सिद्धांत और वरिष्ठ माध्यमिक छात्रों के लिए इसके निहितार्थ।
- किशोरों की सीखने की विशेषताएं और शिक्षण के लिए इसके निहितार्थ। rpsc
4. किशोर शिक्षार्थी का प्रबंधन:
- मानसिक स्वास्थ्य और समायोजन समस्याओं की अवधारणा।
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता और मानसिक स्वास्थ्य,किशोर के लिए इसके निहितार्थ
- किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य के पोषण के लिए मार्गदर्शन तकनीकों का उपयोग।
5. किशोर शिक्षार्थी के लिए निर्देशात्मक रणनीतियाँ:
- संचार कौशल और इसका उपयोग।
- शिक्षण के दौरान शिक्षण-अधिगम सामग्री तैयार करना और उसका उपयोग करना।
- विभिन्न शिक्षण दृष्टिकोण: शिक्षण मॉडल- अग्रिम आयोजक, वैज्ञानिक जांच, सूचना, प्रसंस्करण, सहकारी शिक्षा।
- रचनावादी सिद्धांत आधारित शिक्षण।
6. ICT शिक्षाशास्त्र एकीकरण:
- आईसीटी की अवधारणा।
- हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की अवधारणा।
- निर्देश के लिए सिस्टम दृष्टिकोण।
- कंप्यूटर से सीखने में सहायता।
- कंप्यूटर एडेड निर्देश।
- आईसीटी शिक्षाशास्त्र एकीकरण को सुगम बनाने वाले कारक।