लोकदेवता बाबा रामदेव जी : जीवनी, कार्य, रचनाएँ और उनके पर्चे

REET 2022 : बाबा रामदेव जी का इतिहास ( Baba ramdev ji ka itihas ) बाबा रामदेव राजस्थान में लोकदेवता के रूप में पूजे जाते है, बाबा रामदेव का टॉपिक बहुत महत्वपूर्ण है इस टॉपिक में से राजस्थान में होने वाली प्रत्येक भर्ती परीक्षा में 1-2 प्रश्न अवश्य रूप से पूछे जाते है, बाबा रामदेव की मान्यता राजस्थान के साथ साथ भारत के अन्य राज्यों में भी है| इस लेख में बाबा रामदेव का जन्म कंहा हुआ? बाबा रामदेव के माता पिता का नाम क्या है? बाबा रामदेव ने समाधि कंहा ली? आदि का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है|

Baba ramdev ji ka itihas

नाम : रामदेव जी
जन्म : 1409 ई (भाद्रपद शुक्ल दूज)
पिता : अजमाल जी
माता : मैणादे
समाधि : 1442 ई (भाद्रपद एकादशी)

Contents

Baba ramdev ji ka itihas

  • रामदेवजी का जन्म बाड़मेर के शिव तहसील के ऊंडूकासमेर गाव में भाद्रपद शुक्ल दूज (द्वितीया) को हुआ था।
  • लोकदेवता बाबा रामदेवजी के पिता का नाम अजमाल जी (तंवर वंशीय) तथा माता का नाम मैणादे था। ये अर्जुन के वंशज माने जाते है।
  • रामदेवजी ‘ रामसा पीर’, ” रूणीचा रा धणी’, ‘ बाबा रामदेव’, आदि उपनामों से भी जाने जाते है।
  • इनका विवाह अमरकोट (वर्तमान पाकिस्तान में) सोढ़ा, दलसिंह की सुपुत्री नेतलदे/ निहालदे के साथ हुआ।
  • रामदेवजी के मेघवाल जाति के भक्त रिखिया कहलाते हैं
  • हिन्दू रामदेवजी को कृष्ण का अवतार मानकर तथा मुसलमान रामसा पीर के रूप में इनको पूजते है।
  • भाद्रपद शुक्ला द्वितीया ‘ बाबे री बीज (दूज) के नाम से पुकारी जाती है तथा यही तिथि रामदेवजी के अवतार की तिथि के रूप में लोक प्रचलित है।

Baba ramdev ji ka itihas pdf

  • रामदेवजी के मंदिरों को’ देवरा ‘ कहा जाता है, जिन पर श्वेत या 5 रंगों की ध्वजा, नेजा फहराई जाती है।
  • बाबा रामदेवजी ही एक मात्र ऐसे देवता है, जो एक कवि भी थे। इनकी रचना’ चौबीस वाणियां प्रसिद्ध है।
  • रामदेवजी के नाम पर भाद्रपद द्वितीया व एकादशी को रात्रि जागरण किया जाता है, जिसे ‘ जम्मा‘ कहते है।
  • बाबा रामदेवजी के चमत्कारों को पर्चा कहा जाता है। पर्चा शब्द ‘ परिचय’ शब्द से बना है। परिचय से तात्पर्य है अपने अवतारी होने का परिचय देना।
  • रामदेवजी के प्रतीक चिन्ह के रूप में पगल्ये (चरण चिन्ह) बनाकर पूजे जाते है।
  • बाबा रामदेवजी के भक्त इन्हे कपड़े का बना घोड़ा चढ़ाते है।
  • रामदेवजी की सगी बहिन का नाम सुगना बाई था
  • रूणेचा में स्थित रामदेवजी के समाधि स्थल को रामसरोवर की पाल के नाम जाना जाता है।
  • सुगना बाई का विवाह पुंगलगढ़ के पडिहार राव विजयसिंह से हुआ।
  • बीकानेर, जैसलमेर में रामदेवजी की फड़ ब्यावले भक्तों द्वारा बांची जाती है।
  • रामदेवजी ने मर्ति पूजा, तीर्थयात्रा में अविश्वास प्रकट किया तथा जाति प्रथा का विरोध करते हुए वे हरिजनों को गले का हार, मोती और मूगा बताते है।
  • बाबा रामदेवजी ने परावर्तन नाम से एक अभियान चलाया जो मुसलमान बने हिन्दुओं की शुद्धि कर उन्हें पुन हिन्दू धर्म में दीक्षित करना था।
  • रामदेवजी का वाहन लीला घोड़ा था।
  • अजमाल की पत्नी मैणादे के श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से दो पुत्र वीरमदेव और रामदेव पैदा हुए।
  • भगवान द्वारिकाधीश की तपस्या के फलस्वरूप जन्म लेने के कारण लोक-कथाओं में दोनों भाईयों को बलराम और कृष्ण का अवतार माना गया है।
  • रामदेवजी हड़बूजी और पाबुजी के समकालीन थे। रामदेवजी मल्लीनाथ जी के समकालीन थे।

रामदेव जी के गुरु का नाम

रामदेवजी के गुरू का नाम बालीनाथ था।

कामडिया पन्थ

लोकदेवता बाबा रामदेव ने कामडिया पन्थ की स्थापना की थी |

रामसरोवार तालाब

बाबा रामदेवजी ने रामसरोवर तालाब को जनसाधारण के लिए पेयजल मुहैया कराने के उद्देश्य से खुदवाया था। जो अच्छी खासी झील है। इस रामसरोवर में भक्त गण स्नान लाभ लेकर बाबा की समाधि के दर्शन करते है।

बहन डालीबाई

मेघवाल जाति की कन्या डालीबाई को रामदेवजी ने धर्म-बहिन बनाया था। डालीबाई ने रामेदवजी के समाधि लेने से एक दिन पूर्व समाधि ग्रहण की थी।

रामदेवरा (रूणेचा)

  • रामदेवरा (रूणेचा) जैसलमेर जिले की पोकरण तहसील में रामदेवजी का समाधि स्थल है। यहा रामदेव का भव्य मदिर है तथा माद्रपद शुक्ल द्वितीया से एकादशी तक मेला भरता है।
  • रामदेवजी ने अपनी योग साधना के बल पर तांत्रिक भैरव का वध करके पोकरण क्षेत्र के आसपास के लोगो को उन्हे उससे मुक्ति दिलवाई थी।
  • लोकदेवता रामदेवजी के मेले का आकर्षण तेरहताली नृत्य है, जिसे कामड़िया लोग प्रस्तुत करते है।
  • रामदेवजी का मेला साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है।
  • रामदेवजी ने पश्चिम भारत में मतान्तरण व्यवस्था को रोकने हेतु प्रभावी भूमिका निभाई थी।
  • भैरव राक्षस, लखी बंजारा, रत्ना राईका का सम्बन्ध रामदेवजी से था।
  • यूरोप की क्राति से बहुत पहले रामदेवजी द्वारा हिन्दू समाज को दिया गया संदेश समता और बधुत्व था।
  • रामदेवजी के मदिर जोधपुर के पश्चिम में मसूरिया पहाड़ी, बिराटिया (अजमेर) तथा सूरताखेड़ा (चित्तौड़गढ़) में भी है।

पांच पीरों को पर्चा

एक बार मक्का से पाच पीर रामदेवजी को परखने आये वे एक चादर पर बैठकर आ रहे थे। रामदेवजी जंगल में अपने नीले घोड़े को घास चरा रहे थे। पीर नीचे उतरे और रामदेवजी से पूछताछ की। पीरों ने कुछ चमत्कार भी दिखाये,
जैसे दातून की डालियो को जमीन में गाड़ कर पांच पीपली के पेड़ बनाना आदि। बाबा ने यह शाति से देखा इसके बाद रामदेवजी ने उन्हें भोजन के लिए कहा पीरों ने कहा की हम तुम्हारे बर्तनों में भोजन नहीं करेंगे। हम अपने बर्तन तो मक्का में ही भूल आये है। तब प्रभु ने हाथ लम्बा किया और उनके वे पांचो कटोरे मक्का से लाकर पलभर में उनके सामने रख दिये। पांचों पीर प्रभु के चरणों में गिर पड़े व माफी मांगने लगे तथा कहा :- मैं तो केवल पीर हा और थे पीरा का पीर।

बाबा रामदेव जी का बिज मन्त्र

नम्रो भगवते नेतल नाथाय, सकल रोग हराय सर्व सम्पति कराय,
मम मनोभिलाषितं देहि देहि कार्यम्‌ साधय, ॐ नमो रामदेवाय स्वाहा॥

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