Rajasthan GK : राजस्थान के लोकगीत PDF | Rajathan ke lokgeet PDF

राजस्थान के लोकगीत PDF (Rajathan ke lokgeet PDF) इस महत्वपूर्ण पोस्ट में राजस्थान के प्रमुख लोकगीतों का वर्णन किया गया है, राजस्थान के लोकगीत राजस्थान के सभी exam के लिए अति महत्वपूर्ण पोस्ट है, राजस्थान के विभिन्न भर्ती परीक्षाओ की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को इस का एक बार अध्ययन अवश्य कर लेना चाहिए |

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Rajathan ke lokgeet PDF

राजस्थान के लोकगीत (Rajathan ke lokgeet PDF)

  • विश्व के सभी राष्ट्रों में आरम्भ से ही लोक-संगीत का महत्व रहा है। रविन्द्र नाथ टैगोर ने लोक गीतों को संस्कृति का सुखद सन्देश ले जाने वाली कला कहा हैमहात्मा गांधी के शब्दों में ” लोक गीत की जनता की भाषा है …. लोक गीत हमारी संस्कृति के पहरेदार है। ” लोक गीत सरल तथा साधारण वाक्यों से ओत-प्रोत होते है और इसमें लय को ताल से अधिक महत्व दिया गया है।
  • लोकगीत में मुख्यतः तीन वस्तुओं का समायोजन होता है, ये निम्न है- : गीत (शब्द योजना), धुन (स्वर योजना), वाद्य (स्वर तथा लय योजना)
  • लोक गीतों में तीन सात, नौ, बत्तीस व छप्पन संख्याओं का प्रयोग मिलता है और साथ ही लय बनाने के लिए उनमें निरर्थक शब्दों का भी समायोजन कर लिया जाता है।
  • कुछ विद्वान लोक वार्ता का प्रथम संकलनकर्ता कर्नल जेम्स टॉड को मानते है, किन्तु वास्तविक अर्थो में 1892 ई. में प्रकाशित सी. ई. गेब्हर का ग्रन्थ ” फोक सांग्स ऑफ सदर्न इंडिया’ को भारत में लोक साहित्य का प्रथम ग्रन्थ माना जाना चाहिए।
  • राजस्थान के लोक गीतों को संग्रह करने का कार्य जैन कवियों द्वारा आज से लगभग 500 वर्ष पूर्व किया गया था।

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चरचरी

ताल और नृत्य के साथ उत्सव में गाई जाने वाली रचना ‘ चरचरी’ कहलाती है।

पवाड़ा

किसी महापुरूष, वीर के विशेष कार्यो को वर्णित करने वाली रचनाएं ‘ पवाड़ा ‘ कहलाती है।

चौबाली

राजस्थानी लोकगीतों का संस्मरण’ चौबाली ‘ कहलाता है।

घूमर

यह गणगौर के त्यौहार एवं विशेष पर्वो तथा उत्सवों पर मुख्य रूप से गाया जाता है।

घुड़ला

यह मारवाड़ क्षेत्र में होली के बाद घुड़ला त्यौहार के अवसर पर कन्याओं द्वारा गाया जाने वाला लोकगीत है।

घोड़ी

लड़के के विवाह के अवसर पर निकास के समय गाया जाने वाला गीत है।

हरजस

राजस्थानी महिलाओं द्वारा गाये जाने वाले सगुण भक्ति लोक गीत है, जिसमें राम और कृष्ण की लीलाओं का वर्णन है। यह गीत शेखावाटी क्षेत्र में मृत्यु के अवसर पर गाये जाते हैं

हमसीढ़ों

उत्तरी मेवाड़ में भीलों का प्रसिद्ध लोकगीत है। इसे स्त्री-पुरूष साथ मिलकर गाते है

हिचकी

किसी के द्वारा याद किये जाने पर हिचकी आती है। उस समय गाये जाने वाला गीत है।

हीडो या हिंडोल्या

श्रावण मास में राजस्थानी महिलाएं झूला-झूलते समय यह लालित्यपूर्ण गीत गाती है

कांगसियों

यह बालों के श्रृंगार का गीत है।

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काजलियों

भारतीय संस्कृति में काजल सोलह श्रृंगारों में से एक हैकाजलियों एक श्रृंगारिक गीत है। यह विवाह के समय वर की आंखों में भोजाई काजल डालते समय गाती है।

केसरिया बालम

इसमें पति की प्रतीक्षा करती हुई एक नारी की विरह व्यथा है। यह एक रजवाड़ी गीत है।

कोयलड़ी गीत

परिवार की स्त्रियां वधू को विदा करते समय विदाई गीत कोयलड़ी गाती है

कामण

राजस्थान के कई क्षेत्रों में वर को जादू-टोने से बचाने हेतु गाये जाने वाले गीत ‘ कामण ‘ कहलाते है।

कलाकी

कलाकी एक वीर रस प्रधान गीत है।

कलाली

कलाली लोग शराब निकालने और बेचने का काम करते है। ये ठेकेदार होते है। कलाली गीत में सवाल-जवाब है। इस गीत में श्रृंगारिक एवं मन की चंचलता दिखाई देती है।

कुरजां

राजस्थानी लोक जीवन में विरहनी द्वारा अपने प्रियतम को संदेश भिजवाने हेतु ‘ कुरजां पक्षी’ को माध्यम बनाकर यह गीत गाया जाता है।

कूकड़ी गीत

यह रात्रि जागरण का अन्तिम गीत होता है।

कागा

इसमें विरहणी नायिका कौए को सम्बोधित करके अपने प्रियतम के आने का शगुन मानती है और कौए को प्रलोभन देकर उड़ने को कहती है।

पाणिहारी

पानी भरने वाली स्त्रियां गाती है, जिसमें राजस्थानी स्त्री का पतिव्रत धर्म पर अटल रहना बताया गया है

परणेत

इस गीत का सम्बन्ध विवाह से है। राजस्थान में विवाह के गीत सबसे अधिक प्रचलित है। परणेत के गीतों में विदाई के गीत बहुत ही मर्म स्पर्शी होते है

पावणा

यह गीत दामाद के ससुराल आगमन पर गाया जाता है।

पपैया

पपैया एक प्रसिद्ध पक्षी है। इसमें एक युवती किसी विवाहित युवक को भ्रष्ट करना चाहती है, किन्तु युवक उसको अन्त में यहीं कहता है कि मेरी स्त्री ही मुझे स्वीकार होगी। अतः इस आदर्श गीत में पुरूष अन्य स्त्री से मिलने के लिए मना करता है।

पंछीड़ा

यह गीत हाड़ौती व ढूंढाड़ क्षेत्र में मेलों के अवसर पर अलगोजे, ढोलक व मंजीरे के साथ गाया जाता है।

पीपली

यह रेगिस्तानी क्षेत्र विशेषतः शेखावार्टी, बीकानेर, मारवाड़ के कुछ भागों में स्त्रियों द्वारा वर्षा ऋतु में गाया जाने वाला लोकगीत है। इसमें प्रेयसी अपने प्रदेशी पति को बुलाती है। यह तीज के त्यौहार के कुछ दिन पूर्व गाया जाता है|

सुपियारदे का गीत

इसमें एक त्रिकोणीय प्रेम गाथा का स्वरूप है।

सूवंटिया गीत

इसमें भील स्त्री परदेश गये पति को संदेश भेजती है ।

सुपणा

यह विरहणी का स्वप्न गीत है।

सीटणा/ सीठणी

विवाह पर भोजन के समय गाये जाने वाला गाली गीत है।

सैंजा गीत

इसमें प्रकृति पूजन, लोकगीत, परम्परा, कला और संस्कृति का जीवन्त प्रतीक है। इसमें कुंवारियां श्रेष्ठ वर की कामना, अखण्ड सौभाग्य एवं सुखी दामपत्य जीवन की शुभेच्छा से पूजा अर्चना करती है।

बिणजारा

प्रश्नोत्तर परक इस गीत में पत्नी पति को व्यापार हेतु प्रदेश जाने की प्रेरणा देती है

बधावागीत

यह शुभ कार्य सम्पन्न होने पर गाया जाने वाला लोकगीत है।

बना-बनी

विवाह अवसर पर वर-वधू के लिए गाये जाते है।

बीछूड़ों

यह हाड़ौती क्षेत्र का एक लोकप्रिय गीत है, जिसमें एक पत्नी जिसे बिच्छु ने डस लिया है और मरने वाली है।

जलो और जलाल

वधू के घर जब स्त्रियां वर की बारात का डेरा देखने जाती है। तब यह गीत गाया जाता है।

जच्चा गीत

यह गीत पुत्र जन्म के अवसर पर गाया जाता है, इसका अन्य नाम होलर है।

जीरों

इस गीत में पत्नी अपने पति से जीरा न बोने का अनुरोध करती है।

रातिजगा

रातभर जाग कर गाये जाने वाले गीत रातीजगा गीत कहलाते है।

रसिया

यह गीत भरतुपर, धौलपुर में प्रचलित है।

लाखा फूलाणी के गीत मे

ये गीत मध्यकाल से प्रारम्भ माने जाते है और इनकी उत्पति सिंध प्रदेश से हुई थी।

लागुरिया गीत

करौली क्षेत्र की कुल देवी ” केला देवी” की आराधना में गाए जाने वाले गीत है।

लावणी गीत

लावणी का अर्थ बुलाने से है। नायक के द्वारा नायिका को बुलाने के लिए यह गीत गाया जाता है। मोरध्वज, सेऊसमन, भरथरी आदि प्रमुख लावणिया है।

लूर गीत

यह राजपूत स्त्रियों द्वारा गाया जाने वाला गीत है। Rajathan ke lokgeet PDF

गोपीचन्द गीत

इसमें बंगाल के शासक गोपीचन्द द्वारा अपनी रानियों के साथ किया संवाद चर्चित है।

गणगौर का गीत

यह गणगौर पर स्त्रियों द्वारा गाया जाने वाला गीत है।

गोरबंद

गोरबन्द ऊँट के गले का आभूषण होता है जिस पर राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों विशेषत मरूस्थली व शेखावाटी क्षेत्रों में लोकप्रिय गोरबन्द ‘ गीत प्रचलित है।

गढ़ गीत

ये गीत सामन्तों, राज दरबारों और अन्य समृद्ध लोगों द्वारा आयोजित महफिलों में गाए जाते है। ये रजव व पेशेवर गीत है।

मोरिया

इसमें ऐसी बालिका की व्यथा है, जिसका सम्बन्ध तो तय हो चुका है, लेकिन विवाह में देरी है

मोरिया थाई रै थाई गीत

इस गरासिया गीत में दूल्हे की प्रशंसा होती है और महिलाएं इसके इर्द-गिर्द नृत्य करती है।

मूमल

जैसलमेर में गाया जाने वाला श्रृंगारिक एवं प्रेम गीत है। मूमल लोद्रवा (जैसलमेर) की राजकुमारी थी।।

औल्यू

यह गीत किसी की याद में गाया जाता है।

इण्डोणी गीत

यह गीत स्त्रियां पानी भरने जाते समय गाती है।

उम्मादे का गीत

राजस्थान में यह रूठी रानी का गीत है।

फतमल का गीत

यह गीत हाड़ौती के राव फतहल तथा उसकी टोड़ा की रहने वाली प्रेमिका की भावनाओं से सम्बन्धित है।

दुपट्टा गीत

यह गीत दूल्हे की सालियों द्वारा गाया जाता है।

दारूड़ी गीत

यह गीत रजवाड़ों में शराब पीते समय गाया जाता है।

झोरावा गीत

जैसलमेर जिले में पति के प्रदेश जाने पर उसके वियोग में गाया जाने वाला गीत है।

तेजा गीत

यह तेजाजी की भक्ति में खेत की बुवाई करते समय गाये जाते है।

ढोलामारू गीत

यह सिरोही का प्रेम गीत है। इसे ढाढ़ी गाते है। इसमें ढोला मारू की प्रेम कथा का वर्णन है।

चिरमी

यह गीत चिरमी पौधे को सम्बोधित करके नववधु द्वारा भाई व पिता की प्रतीक्षा में गाया जाता है।

माहेरा (भात)

बहिन के लड़के या लड़की की शादी के समय भाई उसको चूनड़ी ओढ़ाता है और भात भरता है। अतः इस प्रसंग से सम्बन्धित गीत भात के गीत कहलाते है।

लसकरिया, बींद, रसाला, रमगारिया गीत

कच्छी घोड़ी नृत्य करते समय गाया जाता है।

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