मनोलैंगिक विकास सिद्धांत : सिग्मंड फ्रायड manolaingik vikas sidhant

manolaingik vikas sidhant  सिग्मंड फ्रायड के मनोलैंगिक विकास सिद्धांत  की मुखीय अवस्था, गुदीय अवस्था, लैंगिक अवस्था, अदृश्यावस्था, जननेन्द्रिय अवस्था के बारे में इस पोस्ट के अन्दर विस्तार से समझाया गया है |
फ्रायड की यह अवधारणा है कि किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास पर उसकी काम शक्ति का बहुत प्रभाव पड़ता है। फ्रायड ने इस काम शक्ति को लिबिडो कहा है।
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मनोलैंगिक विकास सिद्धांत -सिग्मंड फ्रायड

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मनोलैंगिक विकास सिद्धांत manolaingik vikas sidhant

इन्होंने व्यक्ति के मनोलैंगिक विकास की निम्न पाँच अवस्थाएँ बतायी है

1. मुखीय अवस्था (Oral Stage)- 

  • यह कामुकता की प्रथम अवस्था है 
  • जो शिशु में जन्म से 18 माह तक रहती है। 
  • इस अवस्था में कामुकता मुख के क्षेत्र में केन्द्रित होती है।

2. गुदीय अवस्था (Anal Stage)- 

  • यह अवस्था 18 माह से 3 वर्ष तक चलती है। 
  • इसमें बालक की काम शक्ति मुख से हटकर गुदा क्षेत्र में केन्द्रित हो. जाती है।

3. लैंगिक अवस्था (Phallic Stage)- manolaingik vikas sidhant

  • यह अवस्था 3 से 5 वर्ष की आयु में रहती है। 
  • इस अवस्था में काम शक्ति का केन्द्र बिन्दु जननेन्द्रियाँ होती है।

4. अदृश्यावस्था (Latency Stage)-

  • यह अवस्था 6 से 12 वर्ष के बीच की आयु में आती है। 
  • इस अवस्था में काम शक्ति अदृश्य हो जाती है।

5. जननेन्द्रिय अवस्था (Genital Stage)-

  • यह मनोलैंगिक विकास की अंतिम अवस्था है। 
  • इस अवस्था में काम शक्ति जननेन्द्रियों पर केन्द्रित रहती है जिसका उपयोग वह विपरीत लिंग एवं संतानोत्पत्ति के लिए. करता है |

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