भिन्नार्थक शब्द | bhinnarthak shabd in hindi PDF

भिन्नार्थक शब्द Bhinnarthak Shabd In Hindi PDF की इस महत्वपूर्ण पोस्ट में राजस्थान की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओ में आने वाले महत्वपूर्ण भिन्नार्थक शब्दों का समावेश किया है| जो राजस्थान की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओ REET, CTET, UPTET, RAS, V.D.O., PATWAR, RPSC 1st Grade, 2nd GRADE आदि परीक्षाओ के लिए बहुत महत्वपूर्ण है|

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Bhinnarthak Shabd In Hindi PDF

भिन्नार्थक शब्द का अर्थ

हिन्दी भाषा में कुछ ऐसे शब्द भी दृष्टिगोचर होते हैं जो समानार्थक प्रतीत होते हैं; परन्तु दरअसल ऐसी बात नहीं होती। ये पृथक-पृथक अर्थों को प्रकट करते हैं तथा इनका प्रयोग भी अलग-अलग प्रसंगों/ संदर्भो में होता है, ये शब्द ‘ अर्द्ध पर्यायवाची’ भी कहलाते हैं। हमें ऐसे शब्दों के प्रयोग पर ध्यान देना चाहिए अन्यथा अनुपयुक्त शब्द के प्रयोग से अभिव्यक्ति पंगु हो जाती है और भाषा का सौन्दर्य नष्ट हो जाता है।

उदाहरणार्थ :- उपहार और भेंट
सामान्यतः इन दोनों शब्दों को समानार्थक समझ लेते हैं, किन्तु इनमें अर्थगत अन्तर है। ‘ उपहार’ प्रेम एवं स्नेह के साथ प्रदान किया जाता है। अपने से छोटों को या बराबर वालों को जब कोई वस्तु प्रदान की जाती है तो वह ‘ उपहार’ के अंतर्गत आती है। जबकि ‘ भेंट’ में आदर और श्रद्धा का भाव निहित होता है। अपने से बड़ों, शिक्षक या माता-पिता को जब हम कोई वस्तु प्रदान करते हैं वह ‘ भेंट’ के अंतर्गत आती है।

भिन्नार्थक शब्द | Bhinnarthak Shabd In Hindi PDF

  • अभिमान – अपने को दूसरों से बड़ा समझने का घमण्ड।
    अहंकार – झूठा घमण्ड।
    गर्व – आत्मसम्मान-सहित अभिमान।
    गौरव – अपने उचित कार्य या गुण पर समुचित श्रेष्ठता का भाव।
    घमण्ड – हर स्थिति में अपने आपको बड़ा व दूसरों को हीन समझना।
  • अनभिज्ञ – जो किसी एक बात को नहीं जानता।
    अज्ञ – जो कुछ नहीं जानता।
    अज्ञात – जिसका पता न हो।
    अज्ञेय – जो जाना न जा सके।
  • अनुराग – किसी विषय या वस्तु के प्रति लगाव।
    प्रेम – छोटे-बड़े, हमउम्र सबके प्रति स्निग्ध भाव।
    स्नेह – छोटों के प्रति स्निग्ध भाव।
    आसक्ति – मोहजनित लगाव।
    श्रद्धा – बड़ों के प्रति समर्पित भाव।
    प्रणय – पति-पत्नी में एक दूसरे के प्रति उत्पन्न स्निग्ध भाव।
    वात्सल्य – माता-पिता का बच्चों के प्रति प्रेम।
  • अनुरोध – विनय पूर्वक किया गया आग्रह।
    आग्रह – विनय के साथ-साथ अधिकार भाव से की गई प्रार्थना।
    अनुकंपा – दूसरों के प्रति संवेदनशील होना/ सहानुभूतिपूर्ण कृपा।
    अनुग्रह – छोटों की भलाई करना।
    प्रार्थना – विनती।
  • अन्वेषण – अज्ञात पदार्थ, स्थानादि का पता लगाना।
    अनुसंधान – छानबीन, जाँचपड़ताल।
    गवेषणा – किसी गूढ विषय की मूल स्थिति जानने के लिए गंभीर अध्ययन करना।
    आविष्कार – किसी नवीन सिद्धान्त की खोज करना।
  • अभिलाषा – किसी विशेष वस्तु को पाने की हार्दिक इच्छा।
    इच्छा – सामान्य वस्तु को पाने की साधारण चाह।
    आकांक्षा – प्रतीक्षायुक्त इच्छा।
  • आज्ञा – इजाज़त भी, आदेश भी।
    आदेश – हुक्म।
    अनुमति – इजाजता
    अनुभव – कर्मेन्द्रियों द्वारा प्राप्त होने वाला ज्ञान।
    अनुभूति – ज्ञानेंद्रियों द्वारा तात्कालिक प्राप्त होने वाला आन्तरिक ज्ञान।
  • अध्यक्ष – किसी सुसंगठित विधायी संस्था का प्रधान।
    सभापति – आयोजित सभा का प्रधान।
  • अधिवेशन – किसी संस्था का बड़ा सम्मेलन।
    बैठक – किसी संस्था की किसी समिति की थोड़े समय के लिए सभा।
  • आधि – मानसिक रोग/ पीड़ा।
    व्याधि – शारीरिक रोग/ पीड़ा।
  • अनुमोदन – किसी कार्यवाही या कथन पर सहमति देना।
    समर्थन – किसी प्रस्ताव या विचार पर सहमति देना।
  • अन्याय – न्याय के विरुद्ध काम।
    अपराध – कानून का उल्लंघन।
    पाप – नैतिकता का उल्लंघन।
  • अद्भुत – अनोखा और समझ से बाहर।
    विचित्र – नियमित से भिन्न।
    विलक्षण – विरल लक्षण वाला।
  • अपयश – स्थायी बदनामी।
    कलक – चरित्र पर अस्थायी दोष।
  • अवस्था – वर्तमान समय की उम्र की गणना।
    आयु – सम्पूर्ण जीवन की उम्र की गणना।
  • अस्त्र – फेंककर चलाया जाने वाला हथियार।
    शस्त्र – हाथ में थामकर चलाया जाने वाला हथियार।
    आयुध – सभी प्रकार के हथियार।
  • अनुपम – जिसकी तुलना नहीं हो सकती।
    अद्वितीय – जिसके समान कोई दूसरा न हो।
  • अध्ययन – सामान्य पठन-पाठन।
    अनुशीलन – चिंतन-मनन सहित अध्ययन।
  • अनबन – दो व्यक्तियों की आपस में न बनना।
    खटपट – दो पक्षों के बीच झगड़ा।
  • अर्पण – अपने से बड़ों के लिए।
    प्रदान – बड़ों की ओर से छोटों के लिए।
  • अर्चना – पुष्प, नैवेद्य आदि से देवता की पूजा।
    पूजा – वस्तुओं के बिना, भाव से ईश्वर की प्रार्थना।
    आराधना – मनोकांक्षा की पूर्ति हेतु इष्ट की पूजा।
    उपासना – इष्टदेव की प्रार्थना
    आरती – दीपक, अगरबत्ती, धूपबत्ती के साथ पूजा करना।
  • आदि – एक-दो उदाहरणों के बाद।
    इत्यादि – कई उदाहरणों के बाद।
  • अधिक – सीमा से ज्यादा।
    पर्याप्त – आवश्यकता के अनुसार चाहिए उतना।
    काफी – निर्धारित सीमा के अनुरूप।
  • अनुमान – बौद्धिक तर्क द्वारा लिया गया निर्णय।
    प्राक्कलन – भविष्य में होने वाले व्यय के बारे में गणना के सहारे किया गया अनुमान।
  • अपमान – किसी की प्रतिष्ठा को जानबूझकर ठेस पहुँचाना।
    अवमानना – अनायास किसी की प्रतिष्ठा की हानि।
    तिरस्कार – किसी वस्तु या व्यक्ति के सम्मान की उपेक्षा करना।
  • अमूल्य – जिसका मूल्य निर्धारण करना संभव न हो।
    बहुमूल्य – जिसका मूल्य बहुत अधिक हो
  • अभिनन्दन – किसी उपलब्धि पर सम्मान देना।
    स्वागत – आए हुए व्यक्ति का सत्कार करना।
  • आपत्ति – जिस संकट का निवारण हो सके/ अचानक आया संकट।
    विपत्ति – जिस संकट का निवारण न हो सके।
  • आशा – अच्छे कार्य की उम्मीद।
    आशंका – अनिष्ट होने का खटका।
    शंका – होने-न होने का संदेह।
    भय – साधारण अर्थ में ‘ डर’।
  • आचरण – व्यक्ति का चरित्र।
    व्यवहार – दूसरों के साथ किया जाने वाला क्रिया-व्यापार।
  • आकार – लम्बाई, चौड़ाई, ऊँचाई का नाप-जोख।
    रूप – सौन्दर्य का नाप-जोख।
  • आदरणीय – अपने से बड़ों के लिए सामान्य रूप से प्रयुक्त सम्मान-सूचक
    पूजनीय – माता शब्द।-पिता, गुरुजन, महापुरुषों के लिए प्रयुक्त सम्मान-सूचक
  • अनुच्छेद – गद्यांश या अवतरण।
    परिच्छेद – अध्याय।
  • अन्तःकरण – विवेकादि का केन्द्र।
    मन – सोच-विचार का केन्द्र।
    चित्त – स्मरण केन्द्र।
    आत्मा – ईश्वर का अंश/ प्राण केन्द्र।
  • आगामी – आगे आने वाला।
    भावी – भविष्य में कभी होने वाला।

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