वृति की परिभाषा और भेद ( vriti ki pribhasha or bhed ) : हिंदी व्याकरण की इस महत्वपूर्ण पोस्ट में hindi grammar के महत्वपूर्ण टॉपिक वृति ( mood ) के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है, vriti ki pribhasha or bhed का यह टॉपिक परीक्षा की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण टॉपिक है, इस पोस्ट में वृति की परिभाषा और भेद को उदाहरण सहित बहुत ही विस्तार पूर्वक समझाया गया है| राजस्थान के वे सभी अभ्यर्थी जो विभिन्न भर्ती परीक्षा REET PRE, REET MAINS, RAS, SI, 1st grade, 2nd grade, PATWARI, VDO, LDC आदि भर्ती परीक्षाओ की तैयारी कर रहे है उन सभी अभ्यर्थियों को इस पोस्ट का एक बार अवश्य रूप से गहन अध्ययन कर लेना चाहिए |
Contents
वृति ( mood ) की परिभाषा
परिभाषा :- क्रिया के जिस रूप से कर्ता के किसी प्रयोजन या वृति का बोध होता है, उसे वृति या अर्थ कहते है|
जैसे :
- हम पढ़ते हैं। (निश्चय)
- शायद आज वर्षा हो जाए। (संभावना)
- अंदर आओ (आज्ञा)
- यदि तुम चलते तो मैं भी जाता। (संकेत)
- रवि अभी सो रहा होगा। (संदेह)
वृत्ति के प्रकार : पाँच प्रकार होती हैं
निश्चयार्थक वृति की परिभाषा
परिभाषा :- निश्चयार्थक क्रिया के जिस रूप से किसी कार्य के निश्चित रूप से होने का बोध होता है।
जैसे :-
1. आकाश में तारे चमक रहे हैं।
2. पक्षी चहचहा रहे हैं।
संभावनार्थक वृति की परिभाषा
परिभाषा :- संभावनार्थक क्रिया के जिस रूप से किसी कार्य की संभावना अनुमान आदि का बोध होता, उसे संभावनार्थक कहते हैं।
जैसे :-
1. शायद आप मुझसे पहले भी मिले थें।
2. आज शाम को शायद पानी बरसे।
आज्ञार्थक वृति की परिभाषा
परिभाषा :- आज्ञार्थक क्रिया के जिस रूप से किसी पदेश अथवा निषेध का बोध हो, उसे आज्ञार्थक कहते हैं।
जैसे :-
1. झूठ मत बोलो।
2. बाहर निकलो।
संकेतार्थक वृति की परिभाषा
परिभाषा :- संकेतार्थक- जब एक क्रिया का किसी दूसरी क्रिया पर पूरा होना निर्भर हो, उसे संकेतार्थक कहते हैं।
जैसे :-
1. यदि तुम हारमोनियम बजाओ, तो मैं गाना गाऊँ।
2. अगर पानी नहीं बरसेगा तो मैं ठीक समय पर आ जाऊँगा।
संदेहार्थक वृति की परिभाषा
परिभाषा :- संदेहार्थक क्रिया के जिस रूप से किसी कार्य के होने में संदेह हो, उसे संदेहार्थक वृति कहते हैं।
जैसे :-
1. ट्रेन छूट गई होगी।
2. बच्चे खेल रहे होंगे।
वृति minning in english
english में वृति का अर्थ – instinct
वृति का पर्यायवाची शब्द है
वृत्ति का पर्यायवाची – आजीविका, व्यवसाय, रोजी-रोटी, धंधा, रोजी, काम-धंधा, काम – काज आदि।
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FAQ
उत्तर : परिभाषा :- क्रिया के जिस रूप से कर्ता के किसी प्रयोजन या वृति का बोध होता है, उसे वृति या अर्थ कहते है| जैसे :–
1. हम पढ़ते हैं। (निश्चय)
2. शायद आज वर्षा हो जाए। (संभावना)
3. अंदर आओ (आज्ञा)
4. यदि तुम चलते तो मैं भी जाता। (संकेत)
5. रवि अभी सो रहा होगा। (संदेह)
उत्तर : निश्चयार्थक क्रिया के जिस रूप से किसी कार्य के निश्चित रूप से होने का बोध होता है। जैसे :-
1. आकाश में तारे चमक रहे हैं।
2. पक्षी चहचहा रहे हैं।
उत्तर : संभावनार्थक क्रिया के जिस रूप से किसी कार्य की संभावना अनुमान आदि का बोध होता, उसे संभावनार्थक कहते हैं। जैसे :-
1. शायद आप मुझसे पहले भी मिले थें।
2. आज शाम को शायद पानी बरसे।
उत्तर : आज्ञार्थक क्रिया के जिस रूप से किसी पदेश अथवा निषेध का बोध हो, उसे आज्ञार्थक कहते हैं। जैसे :-
1. झूठ मत बोलो।
2. बाहर निकलो।
उत्तर : संकेतार्थक जब एक क्रिया का किसी दूसरी क्रिया पर पूरा होना निर्भर हो, उसे संकेतार्थक कहते हैं। जैसे :-
1. यदि तुम हारमोनियम बजाओ, तो मैं गाना गाऊँ।
2. अगर पानी नहीं बरसेगा तो मैं ठीक समय पर आ जाऊँगा।
उत्तर : संदेहार्थक क्रिया के जिस रूप से किसी कार्य के होने में संदेह हो, उसे संदेहार्थक कहते हैं। जैसे :-
1. ट्रेन छूट गई होगी।
2. बच्चे खेल रहे होंगे।
उत्तर : वृत्ति का पर्यायवाची – आजीविका, व्यवसाय, रोजी-रोटी, धंधा, रोजी, काम-धंधा, काम – काज आदि।
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