ब्रूनर का सरचनात्मक सिद्धांत | Bruner’s constructive theory

ब्रूनर का सरचनात्मक सिद्धांत | Bruner’s Constructive Theory पोस्ट में ब्रूनर का सामान्य परिचय क्या है? सरचनात्मक सिद्धांत के प्रतिपादक कोन है?ब्रूनर की महत्वपूर्ण पुस्तक कोनसी है? ब्रूनर के शिक्षण सिद्धांत की विशेषताए क्या है? आदि प्रश्नों के उत्तर आपको इस पोस्ट में मिलेंगे| Bruner’s Constructive Theory

Contents

Bruner’s Constructive Theory

ब्रूनर का सामान्य परिचय

jerome s. bruner

नाम:- जेरोम ब्रूनर
जन्म:- 01-अक्टूबर-1915
मृत्यु:- ०५ जून २०१६
देश:- अमेरिका

सरचनात्मक सिद्धांत के प्रतिपादक

सरचनात्मक सिद्धांत के प्रतिपादक जेरोम एस. ब्रूनर ने किया

जेरोम ब्रूनर की महत्वपूर्ण पुस्तके

  1. The process of Education
  2. The Relevance of Education
    जेरोम ब्रूनर ने “शिक्षा की प्रक्रिया“(The process of Education) पुस्तक १९६० में लिखी

जेरोम एस. ब्रूनर शिक्षण सिद्धांत

ब्रूनर के अनुसार प्रत्येक ज्ञान की एक निश्चित संरचना होती है| अत: बालक को उस संरचना से अवगत कराने का प्रयास करना चाहिए। संरचना के द्वारा सीखा गया ज्ञान बालक स्थाई रूप से ग्रहण कर लेता है।

जेरोम एस. ब्रूनर के अनुसार शिशु की अनुभूतियों के मानसिक रूप

शिशु की अनुभूतियों के मानसिक रूप को जेरोम एस. ब्रूनर द्वारा 3 तरीकों के द्वारा बताता गया है

1. सक्रियता/ विधि निर्माण आधारित अधिगम की अवस्था (0-3 वर्ष)

यह एक ऐसा तरीका है जिसमें शिशु अपनी अनुभूतियों को क्रिया द्वारा व्यक्त करता है
जैसे:- दूध की बोतल देखकर शिश द्वारा मुँह चलाना, हाथ-पैर फेंकना आदि।

2. दृश्य प्रतिमा विधि/ प्रतिमा आधारित अधिगम की अवस्था (3-12 वर्ष)

इसमें बालक अपने मन से कुछ दृश्य प्रतिमाएं अर्थात् मूर्त प्रतिमाओं के द्वारा अपनी अनुभूतियों की अभिव्यक्ति करता है।

3. सांकेतिक विधि/ चिह्न आधारित अधिगम की अवस्था (12 वर्ष के बाद)

यह अधिगम की उच्चतर अवस्था है। करीब 12 साल की उम्र से अमूर्त विचार या प्रतिकों के द्वारा सांकेतिक विधि में प्रधानता होती है। सांकेतिक विधि में बालक भाषा के व्यवहार द्वारा अपनी अनुभूतियों की अभिव्यक्ति करता है।

ब्रूनर के शिक्षण सिद्धांत की विशेषताए

ब्रूनर के अनुसार शिक्षण सिद्धांत की विशेषताए निम्न प्रकार है

1. अधिगम की पूर्वानुकूलता

शिक्षण सिद्धान्त का सम्बन्ध उस झुकाव से है जिसको वह स्कूल में प्रवेश करते समय रखता है। पूर्ववर्ती अनुभवों तथा सन्दर्भो से वह अधिगम की क्रिया को आधार प्रदान करता है।

2. ज्ञान की संरचना

शिक्षण सिद्धान्त की दूसरी विशेषता यह है कि डॉ. ब्रूनर का विचार है कि जो भी विषय पढ़ाया जाये, उनकी मूल संरचना से बालकों को अवगत कराया जाये और वह भविष्य में किसी कार्य में सहायक भी हो सके।

3. क्रम/ तारतम्यता

शिक्षण सामग्री को वांछित स्वरूप प्रदान करता है।

4. पुनर्बलन

शिक्षण सिद्धान्त पुरस्कारों की प्रकृति तथा स्थिति की व्याख्या करता है। बाह्य पुरस्कारों से आन्तरिक गुणों का विकास होता है।

ब्रूनर के सरचनात्मक सिद्धांत के शेक्षिक निहितार्थ

  1. शिक्षण सिद्धांतों के कारण शिक्षा का आयोजन कक्षा-कक्ष में बालकों की आयु एवं ज्ञानात्मक विकास के आधार पर किया जाने लगा। J.s. bruner
  2. यह निर्मितवाद छात्र केन्द्रित है तथा यह पूर्व ज्ञान के अनुभवों पर बल देता है।
  3. बालक वस्तुओं का प्रतीकों के रूप में अवलोकन करना सीखता है।
  4. निर्मितवाद एक ऐसा सिद्धांत है, जिसमें व्यक्ति कैसे सीखते हैं, को स्पष्ट किया जाता है।
  5. बुनर के सिद्धांत द्वारा ज्ञान की संरचना पर बल दिया जाता है।
  6. मानसिक स्तर के अनुकूल नवीन शिक्षण कौशलों का विकास करना चाहिए।
  7. निर्मितवाद में प्रत्येक छात्र की सक्रियता से तथा पूर्व ज्ञान एवं नवीन ज्ञान की अंतःक्रिया से ज्ञान की संरचना होती है।

FAQ

1. ब्रूनर का पूरा नाम क्या है?

उत्तर:- जेरोम एस. ब्रूनर है|

2. ब्रूनर की महत्वपूर्ण पुस्तके कोनसी है?

उत्तर:- 1. The process of Education
2. The Relevance of Education

3. ब्रूनर ने किस सिद्धांत का प्रतिपादन किया था?

उत्तर:- ब्रूनर ने सरचनात्मक सिद्धांत का प्रतिपादन किया था|

4. जेरोम ब्रूनर ने शिशु की अनुभूतियों के मानसिक रूप के कितने तरीके बताये है?

उत्तर:- जेरोम ब्रूनर ने शिशु की अनुभूतियों के मानसिक रूप के 3 तरीके बताये है|

5. ब्रूनर के अनुसार विकास की कितनी अवस्थाये बताई गई है?

उत्तर:- ब्रूनर के अनुसार विकास की तीन अवस्थाये बताई गई है|

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